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लेखनी प्रतियोगिता -22-Aug-2022 नारी शक्ति



शीर्षक = नारी शक्ति 



दोपहर का समय  था अलिशबा कॉलेज से आ रही थी । साथ में उसकी सहेलियां काजल, कामिनी और मनप्रीत कोर भी थी।

वो तीनो आपस में बातें करती हुयी आ रही थी  की तभी चाय की टपरी पर बैठे कुछ लड़के उन्हें देख  अपशब्द बोल रहे थे ।

"उनकी तरफ देखना मत तुम तीनो में से कोई  भी  " काजल ने कहा

वो चारो मन ही मन ना जाने क्या कुछ कहती हुयी,तेज तेज क़दमों से चलने लगी

लेकिन तब ही वो लड़के  वहाँ से उठ कर उनके सामने आ कर रुक जाते और कहते है  " क्या हुआ बेहद जल्दी है घर जाने की आज "

वो चारो बिना जवाब दिए आगे बढ़ने लगती है ।

"लुच्चे कही के, ना जाने इनसे कोई कुछ कहता क्यू नही है ," अलिशबा ने कहा

"जाने दे बहन, कुछ कहा तो बेवजह हमें और परेशान करेंगे , हमारी पढ़ाई भी छूट जाएगी और जो थोड़ा बहुत हमें बाहर  निकलने की आजादी मिलती है वो भी छिन जाएगी " मनप्रीत ने कहा

"क्या फायदा हमारे पढ़ने लिखने का जब हम  इन जेसो से डर कर इनकी बातें सुनते रहे  " कामिनी ने कहा

"हाँ, बहन क्या कर सकते है , मजबूर है चाह कर भी  इनको सबक नही सिखा सकते , हमारी पढ़ाई लिखाई बेकार है , अगर हमने इनको कुछ कहा भी तो या तो इनमे से कोई हमारे चेहरे पर तेजाब डाल देगा, और या फिर  कोई और वारदात अंजाम दे देगा. ये तो हम सब बचपन से देखते आ रहे है  लेकिन अब बर्दाश नही होता क्या कर सकते है , चलो अच्छा अपने अपने घर चलते है  फिर कल को कॉलेज जाएंगे इन्ही लफंगो का पहले गली में फिर बस स्टॉप पर  उसके बाद बस में सामना करते हुए इन्हे ना पुलिस कुछ कहती है और ना ही कानून इनके खिलाफ कोई कड़ा फैसला लेता है  क्यूंकि ये सब या तो अमीर बाप की बिगड़ी औलाद होती है  या फिर किसी नेता की औलाद  जिनके हाथो की कटपुतली हमारे रक्षक बने फिरते है  हमें अपनी रक्षा स्वयं ही करनी होगी, और वो इस तरह की सब कुछ देख भालते हुए भी बर्दाश करते रहना  किसी से कुछ ना कहना  "अलिशबा ने कहा उसके बाद वो चारो अपने अपने घर आ गयी ।


चारो बेहद गुस्सा थी अपने आप से ही वो चाह कर भी अपने गली के उन गुंडों का सामना नही कर पा रही थी ।


"अम्मी मैं कल से कॉलेज नही जाउंगी " अलिशबा ने अंदर घुसते हुए अपनी माँ से कहा

"क्यू बेटा ऐसा क्यू बोल रही है , किसी से लड़ाई हुयी है क्या " वहाँ बैठी उसकी माँ ने कहा

"हाँ, अम्मी अपने आप से " अलिशबा ने कहा

"क्या मतलब मैं समझी नही " अलिशबा की माँ सेहर ने कहा

"यही की मैं आखिर कॉलेज क्यू जा रही हूँ, आखिर क्या फायदा मेरा और मेरी दोस्तों का पढ़ने लिखने का की जब हम अपने सामने खुद को अपशब्द सुनते हुए भी खामोश खड़े रहे चाह कर भी कुछ ना कर सके बस इसलिए की हमारा एक गलत कदम हमारी पूरी ज़िन्दगी और हमारे अपनों को भी मुसीबत में डाल सकता है  " अलिशबा और कुछ कहती तब ही उसकी माँ समझ जाती है  की आज फिर गली के नुक्कड़ पर बैठे उन आवारा लड़को ने उसे छेड़ा और उसकी दोस्तों को छेड़ा है


वो उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहती है  " बेटा अगर तुम उन लड़को से परेशान होकर अपनी पढ़ाई छोड़ना चाहती हो तो छोड़ सकती हो ये तुम्हारा अपना फैसला है  मैं कुछ नही कह सकती "


"अम्मी तो आप कुछ नही कहेंगी , आपको मेरा इस तरह डर कर घर में बैठ जाना पढ़ाई छोड़ कर मंज़ूर है  " अलिशबा ने कहा

"बेटा कर भी क्या सकते है , वो सब गुंडे मवाली है  उनके खिलाफ आखिर तुम या मैं कर ही क्या सकते है  आखिर हम सब औरते उनका क्या उखाड़ सकती है  " सेहर ने कहा

"माँ क्यू ना कानून की मदद ले, पुलिस स्टेशन जाकर उनकी रिपोर्ट लिखवाते है  देखना कुछ होगा " अलिशबा ने कहा

"उससे भी कुछ फायदा नही होगा एक दो दिन बाद फिर वही सब होगा और बल्कि पहले से ज्यादा परेशान करेंगे " सेहर ने कहा

"तो फिर माँ हम सब को ही कुछ करना होगा अपनी नारी शक्ति दिखानी होगी जिससे की उन्हें पता चल सके की हम कोई समान नही है ,हमारे अंदर भी जज़्बात है  हमें भी खुल कर जीने का हक़ है  उन्हें इस तरह गली, नुक्कड़ पर खड़े होकर हमें छेड़ने का हक़ नही है  " अलिशबा ने कहा


"ठीक कहा बेटा हम लोगो को ही कुछ करना होगा, शाम को मैं जाउंगी एक दो जगह वहाँ बात करती हूँ, शायद कुछ मालूम हो उन लोगो को " सेहर ने कहा और अलिशबा को गले लगाकर बोली मेरी बहादुर बेटी।


शाम हो चली थी  सेहर जी ने अपनी पड़ोसन  के घर आस पास की औरतों को बुलाया।जिसमे कोमल, कामिनी और मनप्रीत की माये भी शामिल थी ।

"क्या सेहर बहन जी आप काफी परेशान लग रही है , कुछ हुआ है क्या" कोमल की माँ ने पूछा


"कुछ नही बहन जी बस आज कल के माहौल को देख कर डर लग रहा है , काश की हम  माओ के पास कुछ ऐसा जादू होता की हम हर दम अपनी बेटियों के पास होते उनकी रक्षा करने के लिए  " सेहर जी ने कहा


"बात तो आपने सही की है  लेकिन ऐसा संभव नही है , लेकिन आपने ये क्यू सोचा  " वहाँ खड़ी दूसरी औरत ने पूछा 

"आज अलिशबा रोते हुए घर आयी थी , और कॉलेज छोड़ने की बात कर रही थी ।" सेहर जी ने कहा


"लेकिन ऐसा क्यू वो तो बहुत होनहार लड़की है , हमेशा क्लास मैं फर्स्ट आती है  शुरू से लेकर अब तक  " कोमल की माँ ने कहा

"क्या बताऊ बहन जी, हम सब ही जानते है की ज्यादातर लड़कियों को उनके माता पिता घर से बाहर पढ़ने लिखने या फिर काम करने की इज़ाज़त नही देते वो इसलिए क्यूंकि वो जानते है  की बाहर कुछ गिद्ध नुमा लोग है जो उन पर गंदी नज़रे लगाए बैठे होते है  और मौका मिलने पर  उन्हें या तो छेड़ते है  नही तो कोई और वारदात अंजाम दे देते है  " सेहर ने कहा

"ये बात तो है  लेकिन कर भी क्या सकते है ,जरूर अलिशबा को भी उन नुक्कड़ वाले लड़को ने परेशान किया होगा, कोमल भी उदास थी जब घर आयी थी और बता रही थी की कैसे उन्होंने उन चारो को बीच में रोक लिया और ना जाने क्या क्या कह रहे थे , बेचारिया ना जाने क्या क्या बर्दाश करती है  कर भी क्या सकती है  " कोमल की माँ ने कहा


"लेकिन अब नही, अब हम लोगो को ही कुछ करना होगा। अब हमें अपनी नारी शक्ति दिखाना होगी ताकि ये लोग भी जान सके की इट का जवाब पत्थर से देना हमें भी आता है ।" सेहर जी ने कहा


"लेकिन कैसे हम लोगो के पति तो कभी भी इज़ाज़त नही देंगे उन लफंगो से उलझने की, वो तो कहेँगे जैसा चल रहा है चलने दो " वहाँ खड़ी दूसरी औरत ने कहा


"वो तो कहेँगे, उन्हें कोई थोड़ी अपशब्द कहता है , उन्हें थोड़ी नज़रे नीची करके चलना पडती है  भले ही हम बाहर बस, रेलगाड़ी या बस स्टॉप पर खड़े उन लोगो को सबक नही सिखा सकते लेकिन हम अपनी गली में फिर रहे उन बदमाश लड़को से अपनी गली को सुरक्षित कर सकते है , ताकि बाहर ना सही हम और हमारी बहु बेटियां इस मोहल्ले में तो सर उठा कर चल सके , यहाँ तो कोई उन्हें गंदी नज़र से देखने वाला ना हो, अब समय आ गया है  उन बदमाशों को सबक सिखाने का भले ही उनमे से एक हमारे चेयरमैन का बेटा ही क्यू ना है लेकिन उसे हक़ नही की वो हमारी बहु बेटियों को छेडे  अब समय आ गया है  उन्हें अपना दूसरा रूप दिखाने का" वहाँ खड़ी दूसरी औरत ने कहा


"लेकिन हम क्या करेंगे सेहर बहन जी " कोमल की माँ ने कहा

"आप सब बस मेरा साथ दीजिये बाकी मैं बताउंगी हमें क्या करना है , " सेहर ने कहा

"हम सब आपके साथ है  " वहाँ मौजूद सब औरतों ने कहा

अगर हम सब पहले से साथ होकर इस मुसीबत का सामना करते तो शायद  ये मुसीबत बहुत पहले ही यहाँ से दूर चली जाती अब ध्यान से सुनिए  कल को जब हमारी बेटियां कॉलेज के लिए जाएंगी और वो लोग उन्हें परेशान करेंगे  तब हम सब एक साथ उन लोगो को दिखाएंगी की हम क्या कर सकते है।सेहर जी ने कहा और सब लोगो को साथ लिया और कल का इंतज़ार करने लगी ।


अगली सुबह चारो दोस्त कॉलेज जा रही थी  तब ही वहाँ बैठे लड़को से बचते हुए वो वहाँ से निकल रही थी  लेकिन फिर भी वो लड़के उन्हें परेशान करने लगे ।


लेकिन इस बार उनका सामना नारी शक्ति से होने वाला था , इसलिए  जैसे ही उन्होंने अपने पीछे देखा  तो बहुत सारी औरते वहाँ उन्हें मारने के लिए खड़ी थी ।


उन सब ने उन्हें बहुत मारा, पुलिस आ गयी थी  और सब को ठाना कचेरी ले जाया गया । बाद में जब  पूरी बात पता चली तो पुलिस ने उन औरतों को छोड़ दिया लेकिन उन लड़को को जैल में बंद कर दिया।


उसके बाद एक महिला पुलिस उनकी गली में तैनात कर दी गयी की कही भविष्य में वो बदमाश उन्हें नुकसान ना पहुचाये।

लेकिन शायद उस दिन उन्होंने नारी शक्ति का सामना कर लिया था  और जान गए थे  की औरत जब तक खामोश रहती है  तब तक ही सहती है  उसके बाद या तो काट देती है या फिर इतिहास रच देती है ।


अब वो चारो और उनके साथ और भी उस मोहल्ले की लड़कियां बिना किसी डर के  अपनी उस गली से गुज़रती हस्ते मुस्कुराते बातें करते हुए ।


प्रतियोगिता हेतु लिखी कहानी 

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18 Comments

Chetna swrnkar

24-Aug-2022 12:39 PM

Very nice

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Mohammed urooj khan

24-Aug-2022 09:59 AM

आप सब का तेह दिल से शुक्रिया रचना पढ़ कर सराहने के लिए 🙏🙏🙏

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Ajay Tiwari

23-Aug-2022 09:33 PM

Very nice

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